Monika garg

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लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ

हैलो सखी।

कैसी हो।आज मै बात करुंगी 8 मार्च 2022 की।उस दिन वुमन डे था।बस मन विचलित हो गया और जो उद्गार निकल कर सामने आये वो यहां प्रस्तुत है।
मै अच्छी हूं।आज सुबह से ही देख रही हूं सभी वहटस अप गुरुप मे क्या नर क्या नारी सभी एक दूसरे को महिला दिवस की बधाई दे रहे है।
क्या वास्तव मे हमारा समाज महिला दिवस मनाने का हक रखता है। पाश्चात्य संस्कृति के रंग मे रंग कर हैप्पी वुमनस डे करते है । क्या इस समाज मे महिलाएं हैप्पी है नही उन्हें कभी घर मे, कभी कही जाते हुए बस या आटो मे,कभी दफ्तर मे हमेशा से कही ना कही अपमान, किसी ना किसी वासना चाहे वो आंखों से हो या स्पर्श से शिकार होना ही पड़ता है ओर पड़ता ही रहे गा । पुरुष प्रधान समाज मे हैप्पी वुमनस डे कैसे होगा।उन को कोई हक नही है हैप्पी वुमनस डे कहने का जो अपनी जिंदगी मे कभी भी किसी नारी का मन दुखाये चाहे वो मां हो,बहन हो, पत्नी हो,बेटी हो या दूसरे की बेटी हो। यही नियम महिलाओं पर भी लागू है वो एक बहू बन कर ,एक बेटी बन कर ,एक सास बन कर या एक मां बन कर किसी भी तरह से किसी दूसरी महिला का दिल दुखाये वो वुमनस डे विश करने की अधिकारी नही है। साथ ही हम महिला दिवस मुबारक करते है और साथ ही यही कोशिश रहती कि कोई महिला मुझ से आगे ना निकल जाए।
मुझे जो समझ आया वो मैने कह दिया सखी आज मन का गुब्बार निकाल दिया। अब तुम सब समझ जाना। अलविदा 

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2 Comments

Khan

29-Nov-2022 05:39 PM

बेहतरीन 🌺🌸

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